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हे मनरेगा के संविदा कर्मी
युग बढ़ा तुम्हारी हँसी देख
युग हटा तुम्हारी भृकुटि देख,
तुम अचल मेखला बन भू की
खींचते काल पर अमिट रेख,
तुम बोल उठे, युग बोल उठा,
तुम मौन बने, युग मौन बना,
कुछ कर्म तुम्हारे संचित कर
युगकर्म जगा, युगधर्म तना,,
चलना भी मुश्किल था जिन गलियों में
मनरेगा ने सड़कों का जाल बिछाया,
कोटि कोटि तालाबें खुद गयीं,
पेड़ों के हरियाली की चादरें बिछ गयीं,
नहरों की सफाई हो गयीं, नई नई पईनें जुड़ गयीं,
किसानों की तकदीर है बदली, असिंचित खेतें भी सिंच गयीं,
पशुओं को भी आवास मिल गए,स्कूलों की बाउंड्री बन गयीं,
सोखता गड्ढों से भू जल बढ़ता, और स्वच्छता भी आई,
मछली का व्यापार बढ़ा है मत्स्य हाट भी बनके खड़ा है,
ग्राम संगठनों के भवन बन रहे, बायो गैस से गाँव चमकेंगे
बेरोजगार हाथों को काम दिया है सही समय भुगतान किया है,
मजदूरों की जिंदगी जीते , मजदूरों से काम कराते ,
अपने सुखों की बलि चढ़ाकर धरती को ये स्वर्ग बनाते
धन्यवाद
युग परिवर्तक युग संस्थापक
युग-संचालक हे युगाधार
हे मनरेगा कर्मी साथियों,
युग निर्माता युग मूर्ति तुम्हें
युग युग तक युग का नमस्कार
हे कोटिचरण, हे कोटिबाहु!
हे कोटिरूप, हे कोटिनाम!
तुम एकमूर्ति, प्रतिमूर्ति कोटि
हे कोटिमूर्ति, तुमको प्रणाम!
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